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Biography of indian astronauts in hindi

Rakesh Sharma Birthday: कहां हैं अंतरिक्ष में लाइफ साइंस से जुड़े प्रयोग करने वाले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा

नई दिल्ली
अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय राकेश शर्मा का आज जन्मदिन है। 80 के दशक की शुरुआत में भारतीयों के बीच उनके नाम की बहुच चर्चा हुआ करती थी। उनका जन्म 13 जनवरी, 1949 को पंजाब के पटियाला में हुआ था। वह विश्‍व के 138वें अंतरिक्ष यात्री थे। उन्‍होंने लो ऑर्बिट में स्थित सोवियत स्‍पेस स्‍टेशन की उड़ान भरी और सात दिनों तक स्‍पेस स्‍टेशन में रहे। आइए आज जन्मदिन पर उनके बारे में खास बातें जानते हैं...

परिचय
उन्होंने शुरुआती शिक्षा सेंट जॉर्जिस ग्रैमर स्कूल, हैदराबाद से हासिल की। उन्होंने निजाम कॉलेज, हैदराबाद से ग्रैजुएशन किया। जुलाई 1966 में उन्होंने नैशनल डिफेंस अकैडमी में दाखिला लिया। भारतीय वायुसेना में उनको 1970 में पायलट के तौर पर कमिशन किया गया।

अंतरिक्ष यात्री बनने का मिला अवसर
इसी दौरान उन्‍हें भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री बनने का मौका मिला। हुआ यूं कि 20 सितंबर 1982 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ' इसरो' के जरिए इन्‍हें अंतरिक्ष एजेंसी इंटरकॉस्‍मोस के अभियान के लिए चुना गया।

अविस्‍मरणीय पल
उनके लिए यह अविस्‍मरणीय पल था जब 2अप्रैल 1984 को उन्‍हें सोवियत संघ के बैकानूर से सोयूज टी- 11 अंतरिक्ष यान से अन्‍य दो अंतरिक्ष यान के कमांडर वाई.

वी मालिशेव और फ्लाइट इंज‍िनियर जी.एम स्‍ट्रकोलॉफ अंतरिक्ष यात्रियों के साथ उड़ान भरने का मौका मिला। इस मिशन में राकेश शर्मा भारत का प्रतिनिधित्‍व कर रहे थे।

अंतरिक्ष में प्रयोग
उन्होंने अंतरिक्ष में लाइफ साइंस जुड़े प्रयोग किए और योग भी किया। वह 9 घंटे तक बाकी अंतरिक्ष यात्रियों के साथ अंतरिक्ष में सोए और उसके बाद काम किया। अंतरिक्ष में 7 दिन और 21 घंटे रहने के दौरान उन्होंने कई प्रयोग किए जिनमें सिलिकम फ्यूजिंग टेस्ट शामिल था।

'सारे जहां से अच्छा'
देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को दिया गया उनका जवाब काफी मशहूर हुआ था। दरअसल इंदिरा गांधी ने उनसे पूछा कि भारत बाहरी अंतरिक्ष से देखने में कैसा लगता है। इस पर राकेश शर्मा ने जवाब दिया था, 'सारे जहां से अच्छा'

सैन्य पुरस्कार और सम्मानस्पेस से लौटने के बाद राकेश शर्मा को हीरो ऑफ सोवियत यूनियन सम्मान से नवाजा गया। अब तक वह पहले भारतीय हैं, जिनको यह सम्मान मिला है। भारत ने भी उनको शांतिकाल का सर्वोच्च पुरस्कार अशोक चक्र से नवाजा।

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